हौज़ा न्यूज़ एजेंसी के अनुसार ,ईरान के नवनिर्वाचित राष्ट्रपति डॉ.मसूद पिज़िशकियान ने इस्लामी क्रांति के सिपाहे पासदारान फ़ोर्स के कमांडरों से मुलाक़ात के बाद ट्वीट पर लिखा कि आज दुनिया के स्वतंत्रता प्रेमियों का परचम हमारे कांधों पर है।
सिपाहे पासदारान के प्रमुख मेजर जनरल हुसैन सलामी और सिपाहे पासदारान में सर्वोच्च नेता के प्रतिनिधि हुज्जतुल इस्लाम अब्दुल्लाह हाजी सादेक़ी, सिपाहे पासदारान की थलसेना के कमांडर मोहम्मद पाकपूर, सिपाहे पासदारान में क़ुद्स ब्रिगेड के कमांडर इस्माईल क़ानी और सिपाहे पासदारान में एरो स्पेस के कमांडर अमीर अली हाजीज़ादे, सिपाहे पासदारान की नौसेना कमांडर अलीरज़ा तंगसीरी और सिपाहे पासदारान के दूसरे कमांडरों ने ईरान के नवनिर्वाचित राष्ट्रपति मसऊद पिज़िश्कियान से भेंटवार्ता की।
एक रिपोर्ट के अनुसार इस मुलाक़ात में सिपाहे पासदारान के प्रमुख की ओर से शिया मुसलमानों के तीसरे इमाम, इमाम हुसैन अलैहिस्सलाम के ध्वज को नवनिर्वाचित राष्ट्रपति को भेंट किया गया।
नवनिर्वाचित राष्ट्रपति ने सोशल साइट एक्स पर लिखा कि सिपाहे पासदारान में प्रिय भाइयों से आज की मुलाक़ात में मुझे इमाम हुसैन अलैहिस्सलाम के पवित्र रौज़े का परचम भेंट किया गया। आज दुनिया के स्वतंत्रता प्रेमियों का ध्वज हमारे कांधों पर है। इस परचम का ध्वजावाहक बाक़ी रह जाने के लिए हज़रत अब्बास अलैहिस्सलाम की भांति न्यायप्रेमी, वफ़ादारी, त्यागी, बलिदानी और शिष्टाचारी होने की ज़रूरत है।
इस्लामी क्रांति की सिपाहे पासदारान फ़ोर्स एक सैनिक इकाई है जिसका गठन स्वर्गीय इमाम ख़ुमैनी रह. के आदेश से दो उर्दीबहिश्त सन् 1358 हिजरी शमसी को हुआ था।
26 शहरीवर 1364 हिजरी शमसी को सिपाहे पासदारान को जल, थल और वायु तीन भागों में बांट दिया गया और उसके बाद वर्ष 1369 हिजरी शमसी में ईरान की इस्लामी क्रांति के सर्वोच्च नेता सय्यद अली ख़ामेनेई के आदेश से क़ुद्स और साज़माने मुक़ावत बसीज नाम की दो सेनाओं को सिपाहे पासदारान में शामिल कर दिया गया। इस प्रकार सिपाहे पासदान में पांच सेनायें हो गयीं। सिपाहे पासदारान सैनिक गतिविधियों के अलावा, सूचना, निर्माण व आबादकारी और सांस्कृतिक क्षेत्रों में भी सक्रिय रहती है।
आतंकवादी गुट दाइश से मुक़ाबला और उसकी सरकार को ख़त्म कर देना सिपाहे पासदारान की क़ुद्स फ़ोर्स की बड़ी कामयाबियों से एक है।
अमेरिकी सरकार ने 19 फ़रवरदीन 1398 हिजरी शमसी को एक बयान करके सिपाहे पासदारान विशेषकर उसकी क़ुद्स ब्रिगेड का नाम आधिकारिक तौर पर विदेशी आंतकवादी गुटों की सूची में क़रार दे दिया। ईरान की सर्वोच्च राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद ने भी अमेरिका की इस कार्यवाही के जवाब में उसके नाम की घोषणा "आतंकवाद की समर्थक सरकार" के रूप में किया। इसी प्रकार ईरान ने पश्चिम एशिया में अमेरिकी सेना सेंटकॉम को "आतंकवादी गुट" का नाम दिया।
1398 हिजरी शमसी में इराक़ में अमेरिका की सैनिक छावनी एनुल असद पर भारी मिसाइल हमला और इसी प्रकार जारी वर्ष पर इस्राईल पर प्रक्षेपास्त्रिक और ड्रोन हमला इस इकाई के सबसे मशहूर हमले हैं।
सिपाहे पासदारान का साम्राज्यवाद विरोधी दृष्टिकोण और पश्चिम से संबंधित आतंकवादी गुटों को पश्चिम एशिया से ख़त्म करने हेतु उसके प्रयास ने अंतरराष्ट्रीय स्तर पर उसे बहुत लोकप्रिय बना दिया है।